Friday, February 12, 2010

शिव के सबसे बड़े दिन ही सेना को मिली हार

वैसे तो देखने जाये तो शिवसेना का मुंबई मैं होल्ट माना जाता था की बालासाहेब ठाकरे ने एक बार अपनी सिंह दहाड़ मरी तो पूरी मुंबई मैं सन्नाटा सा छा जाता था। यह वाही बालासाहब ठाकरे थे जिन्होंने मुंबई के खातिर ६ साल के लिए अपना मताधिकार खो दिया था। लेकिन वक्त को बढ़ाते देर नहीं लगती आइसे ही आज मुंबई मैं शिवसेना का वक्त बदल गया है। जो शिवसेना को मुंबई मैं कुछ भी करवाने के लिए सिर्फ आवाज ही लगनी पड़ती थी वाही शिवसेना के बड़े नेताओं को आज सड़क पर उतारकर आपनी बात को मनवाना पड़ रहा है। अगर आप की माय नामे इज खान फिल्म की रिलीज की बात के ऊपर ही गौर किया जाये तो शिवसेना को फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है। मेहनत के बाद भी फिल्म तो मुंबई मैं रिलीज हो गयी सिर्फ लोगों ने ही नहीं मल्टी प्लेक्स मालिकों ने भी शिवसेना की बात को न मानने की मन मैं ठानी और पुलिस ने भी प्रोटेकशन दिया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मैं शिवसेना को मिली करारी हार के चलते बौखलाई सेना को अपना अस्तित्व बरक़रार रखने के लिए कुछ तो करना ही था तो शिवसेना ने आई पी एल के मैं ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के खिलाडियों को निशाना बना कर आपनी बात मनवाकर सुर्ख़ियों मैं रहने की तयारी की। यह मसला देश की न्यूज़ चैनलों पर चल ही रहा था की शाहरुख़ के बयां को लेकर शिवसेना को लगा बुरा , फिर क्या सेना को फिर मिला नया मुद्दा। शिवसेना ने फिर से सुर्ख़ियों में रहने के लिए फिल्म को निशाना बनाकर आन्दोलन छेड़ा।
अब शिवरात्रि है जो भगवान् शिव का सबसे बड़ा दिन माना जा रहा है। उसी दिन अगर शिव के नाम से बनी सेना को आने ही गढ़ मुंबई मैं फिल्म रिलीज मैं करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के पीछे अगर जानकारों की माने तो शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब के पुत्र प्रेम की वजह से राज के अलग होने से बालासाहेब का वजन मुंबई मैं कम हुआ। साथ ही देखा जाये तो शिव सेना मैं जो युवा वर्ग जुड़े थे वह सभी आज राज की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ जुड़ गए है। यह भी एक कारन था की शिवसेना की ताकत महाराष्ट्र (मुंबई) मैं कम हुई है।

1 comment:

  1. Good one... I think now shivsena has to leave the political pitch and all the so called leaders of Shivsena has to go for "Vanvaas" not for 14 yrs but for entire life....

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